अहीर रेजिमेंट
रेजिमेंट का क्या महत्व है, इस के लिए एक सच्चा किस्सा बयाँ करता हूँ
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आज से कुछ साल पहले एक अंग्रेजी दैनिक "टाइम्स ऑफ़ इंडिया" में रजत पंडित नाम के लेखक ने "रेजांगला" के युद्ध के बारे में लिखा और अपने लेख के ज़रिये कुमाँऊनी वीरों के खूब गीत गाये ( रजत पंडित भी उस क्षेत्र से है ) और एक बार भी यदुवंशियों का ज़िक्र नहीं किया --- यानी खून कोई बहाए और गीत किसी और के गाये जायें i मैंने तुरंत अखबार के एडिटर को पत्र लिखा और रजत पंडित को भी फ़ोन कर के बताया की "रेजांगला" के युद्ध में तो एक भी कुमाँऊनी नहीं लड़ा था, बल्कि रेजांगला में तो शूरवीर अहीर जूझे थे i इस पर अखबार ने त्रुटि सुधार करते हुए यदुवीरों को सम्मान दिया, लेकिन एक फौजी ब्रिगेडियर जो बनिया (अग्रवाल ) था, उस ने मुझे लिखा कि क्यों जातिवाद फैला रहे हो ? रेजांगला के शहीद तो कुमाँऊनी सैनिक थे, तो इस पर हम ने जवाब दिया कि कुमाँऊनी सैनिक नहीं, बल्कि कुमाँऊ रेजिमेंट के "वीर अहीर" --- मुद्दा साफ़ है ---- यादवी शौर्य को तब तक उचित पहचान और सम्मान नहीं मिल सकता, जब तक हमारी पृथक "अहीर रेजिमेंट " नहीं होगी --- आइये इतिहास के पन्नों में कौम को उचित स्थान दिलाने के लिए समस्त यदुवीर एक साथ आयें -- जय हो
II वीर भोग्या वसुंधरा II
II राष्ट्र-सेवा हमारा जन्मसिद्ध धर्म है -- अहीर रेजिमेंट राष्ट्र-रक्षा हेतु बलिदान के लिए