Tuesday, 19 July 2016

चंद्रवंशी क्षत्रिय अहीर(यादव)

         चंद्रवंशी क्षत्रिय अहीर(यादव)


चंद्रवंशी क्षत्रिय की वंशावली
(1)ब्रंमा
(2)अत्रिय
(3)चंद्र
(4)पुरुरवा
(5)आयु
(6)नहुष
(7)ययाती
(8)ययातीना यदु
चंद्रवंशी क्षत्रिय का अहीर नाम केसे
पडा ?
वो नीचे अधिक जानकारी हे !
नहुष राजा को इन्द्रपद मिला हुआ था यह बात अपने शास्त्रो केहते हे।
नहुष राजा को इन्द्राराणी का श्राप
मिला था,नहुष का पुत्र ययाती राजा अपने पिता को श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए महायग्न का आयोजन करता हे।
ययाती राजा पवित्र चार वेदो के साथ
यग्नमे गायमाता और अही का पुजन करता हे।
अही यानी की सर्प, साप , नाग,
को संस्कृत मे अही कहा जाता हे।
ययाती राजा ने यग्न मे गायमाता का पुजन किया
तबसे भारतिय संस्कृती बलेचोथ का उत्सव मनाती हे और तबसे ययाती के वंशज यानी की यादवो गायमाता को पालने लगे।
ययाती राजाने यग्नमे अही (सर्प) पुजन
किया तबसे भारतिय संस्कृती नागपंचमी का उत्सव मनाती हे।
बादमे ययाती राजाने अही का पुजन किया इसलिये लोगो ययाती राजा को अहीनंद से जानने लगे और पुकारने लगे बादमे अहीनंद शब्द का अभ्रन्श हो गया ओर अहीर शब्द का निर्माण हो गया ।
बाद मे ययाती के वंशजो को अहीर कहा
जाता हे।
ययाती राजाका पुत्र यदु महान पराक्रमी
राजा हो गया एसीलीये अहीर को यदुवंशी भी कहा जाता हे।
इस यदुवंश मे ही
वसुदेव ,
नंदराजा,
बलराम,
श्री कृष्ण,
सात्यीक
जेसे अहीर यदुवंश (यादव) मे महान पुरुष होगए हे।
इस यदुवंश सबसे पवित्र मे पवित्र वंश माना
जाता हे,
क्यूकी यदुवंशमे भगवानने कृष्ण बन कर जन्म लिया हे।
हमे भी गै।रव हे, स्वाभीमान हे की हमारा जन्म भगवान श्रीकृष्ण के कुलमे हुवा हे अश्वमेघ यग्न की जान कारी
नाहुष राजा को इन्द्रपद था 100 अश्वमेघ यग्न करने से इन्द्रपद मिलता हे
1 अश्वमेघ यग्न करने के लिये 24 से 25 साल लग जाते हे अश्वमेघ यग्न यानी की राजा का अश्व पुरी पृथ्वी मे घुमता हे
पृथ्वी के सभी राजा अश्व का सन्मान करते हे और राजा के विचार मान्य रखते हे । अश्वमेघ यग्न का आयोजन करने वाल राजा का अश्व पुरी पृथ्वी घुमकर अपने राज्य मे अश्व वापस आता हे तब एक अश्वमेघ यग्न पुरा होता हे।
कभी एसा होता हे की कोइ राजा अश्व को बंदी बना लेता हे तो इस पर दोनो राजा के बिस मे युद्ध
होता हे।
आप सबने रामायण मे देखा होगा की राजा राम का अश्व लव-कुश उनके ही पुत्र बंदी बना लेते हे।
तब दोनो के बिस मे लडाई हुइ थी ।
इस तरह नहुष राजाने 100 अश्वमेघ किया था इसलिये उसको इन्द्रपद मिला था यह बात अपने शास्त्रो मे लिखी हुइ हे।
जय यादव जय माधव
अहीर रेजीमेन्ट हक हे
हमारा.

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